कविताअतुकांत कविता
मेरी माँ
वो प्यार भरी लोरियां
जब तुम मुझे सुनाती थी
अपनी आंचल की छांव में
मुझे सुलाती थी ।
उंगलियां पकड़कर मेरे
मुझको चलना सिखाती थी
ओ मेरी प्यारी माँ
वो तुम ही थी
जो थर्मामीटर से भी सही
टेंपरेचर बताती थी ।
वो प्यार भरी लोरियां
जब तुम मुझे सुनाती थी
अपने आंचल की छांव में
मुझे सुलाती थी ।
मेरे कहने से पहले
दिल की हर बात जान जाती थी
बिन बोले मेरे
हर वो चीज दे जाती थी
ओ मेरी प्यारी माँ
वो तुम ही थी जो
मेरी दर्दों में मुझसे ज्यादा रोती थी ।
वो प्यार भरी लोरियां
जब तुम मुझे सुनाती थी
अपनी आंचल की छांव में
मुझे सुलाती थी ।
संग रहती थी हरदम मेरे
दूर कभी ना जाती थी
ओ मेरी प्यारी माँ
वो तुम ही थी जो बिन देखे
मुझपे प्यार जताती थी ।