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मां - Sapna Pandey (Sahitya Arpan)

कवितागीत

मां

  • 46
  • 5 Min Read

मां

धरती पर मां बिना एक बच्चे के लिए सब
सून है
मां तो बच्चे के लिए खुद भगवान का
स्वरूप है

जन्म देती हैं खुद की जान दांव पर
लगाकर फिर
खुश हो जाती बच्चे की होंठो कि एक
मुस्कान पर

खुद की ख्वाहिशें छोड़ सुबह से शाम
बच्चों पर ही वार देती
कभी कहानी सुना कर तो कभी लोरी सुना कर
वह बच्चों को है सुलाती


खुद भूखी रहे बच्चों को भरपेट खिलाती
भले ही वह अनपढ़ हो पर बच्चों में
संस्कार भर जाती
मां तो बच्चों की किस्मत सवार जाती

भले ही खुद कितना परेशान हो पर बच्चों के चेहरे देख
उनकी परेशानी समझ जाती
खुद की परेशानी भूल बच्चों की परेशानी वह
सुलझा जाती


मां की मोहब्बत के आगे दुनिया भर की मोहब्बत
फिजूल है
मां तो प्यार की मूरत और प्यार करना ही उसका
उसूल है

बच्चे बड़े होकर भूल जाते हैं कि मां से ही
उनका वजूद है
मां के ही पैरों में जन्नत और मां के पैरों में ही
किस्मत का फूल है..🙏

✍️ Sapna Pandey
Renukoot Sonbhadra UP
(Ayodhya)

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