कवितागीत
मां
धरती पर मां बिना एक बच्चे के लिए सब
सून है
मां तो बच्चे के लिए खुद भगवान का
स्वरूप है
जन्म देती हैं खुद की जान दांव पर
लगाकर फिर
खुश हो जाती बच्चे की होंठो कि एक
मुस्कान पर
खुद की ख्वाहिशें छोड़ सुबह से शाम
बच्चों पर ही वार देती
कभी कहानी सुना कर तो कभी लोरी सुना कर
वह बच्चों को है सुलाती
खुद भूखी रहे बच्चों को भरपेट खिलाती
भले ही वह अनपढ़ हो पर बच्चों में
संस्कार भर जाती
मां तो बच्चों की किस्मत सवार जाती
भले ही खुद कितना परेशान हो पर बच्चों के चेहरे देख
उनकी परेशानी समझ जाती
खुद की परेशानी भूल बच्चों की परेशानी वह
सुलझा जाती
मां की मोहब्बत के आगे दुनिया भर की मोहब्बत
फिजूल है
मां तो प्यार की मूरत और प्यार करना ही उसका
उसूल है
बच्चे बड़े होकर भूल जाते हैं कि मां से ही
उनका वजूद है
मां के ही पैरों में जन्नत और मां के पैरों में ही
किस्मत का फूल है..🙏
✍️ Sapna Pandey
Renukoot Sonbhadra UP
(Ayodhya)