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जनरल जोरावर सिंह की जयंती - Ritin Pundir (Sahitya Arpan)

लेखअन्य

जनरल जोरावर सिंह की जयंती

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13 अप्रैल जिसको आज सिर्फ एक दिन समझ कर भुलाने की कोशिश कि जा रही है भुलाने की कोशिश कि जा रही है उस इतिहास को जिसको पढ़ कर भारत खुद पर गर्व महसूस करता हो जिसकी मुट्ठी भर सेना के दम पर आज भी भारत अपने सरताज को संभाले हुआ है जिसके कारण लेह लद्दाख आज भी भारत का हिस्सा है


जनरल जोरावर सिंह , भारत का नेपोलियन, तिब्बत - लद्धाख -बल्टिस्तान जीतने वाला एक महान राजपूत योद्धा !

उन्होने लद्दाख, तिब्बत, बल्टिस्तान, इस्कार्दु आदि क्षेत्रों को जीता था

इस महान योद्धा की वीरता के परिणामस्वरूप लद्दाख आज भारत का हिस्सा है। इस महान सेनानायक ने अपने सैन्य कौशल से लद्दाख, वहिस्तान व सुर्कुद जैसे दुर्गम क्षेत्रों को जीतकर जम्मू रियासत में 70 लाख 30 हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को मिलाया। जोरावर सिंह अपने चार हजार सैनिकों के साथ 19 हजार फुट ऊंचे ग्लेशियरों को पार करके छह दिन में लेह पहुचे थे।


जोरावर सिंह की वीरता से प्रभावित होकर तिब्बतियों ने व्यू नामक स्थान पर उनकी समाधि बनाई।

जनरल जोरावर सिंह महाविद्यालय धनेटा में इतिहास के सहायक प्रोफेसर राकेश कुमार शर्मा ने बताया कि विश्व के इतिहास में जनरल जोरावर सिंह जैसा महान योद्धा नहीं हुआ है जिनके अदम्य साहस व वीरता का लोहा मानते हुए दुश्मनों ने जिनकी समाधि बनाई हो।

नमन है ऐसे महावीर क्षत्रिय योद्धा को 🙏

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