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और रो पड़ी मां - Drjaved Khan (Sahitya Arpan)

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और रो पड़ी मां

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छोटू ,की उम्र लगभग आठ या नौ वर्ष की होगी पर एक घटना ने उसको मेरी नज़र में बहुत ऊंचा कर दिया था ,वह अक्सर मेरे घर में आता था मेरे छोटे भाई के साथ उसकी दोस्ती थी वह उसके साथ खेलता और कभी कभी उसके साथ पढ़ने भी बैठ जाता था। मेरी मां कभी उसे कुछ खाने के लिए देती तो वह बहुत संकौंच के साथ बहुत कहने पर लेता था। वह गरीब ज़रूर था पर उसके अंदर स्वाभिमान कूट कूट कर भरा था।

एक दिन जब हल्के जाड़े का मौसम था हवा में थोड़ी ठंडक बढ़ चुकी थी और मैं अपने छत की बल्कौनी में बैठा गुन गुनी धूप का आनन्द ले रहा था तभी मेरी नजर मेरे घर के सामने के मैदान में खेल रहे बच्चों पर पड़ी जहां सब आस पड़ोस के बच्चे वहां पर आकर खेलते रहते थे। उस दिन भी बच्चे खेल रहे थे। पर मैंने देखा छोटू ,किनारे गुम सुम बैठा उन्हें खेलता देख रहा था पर वह किसी और ही दुनिया में था, वह कुछ उदास भी दिख रहा था। मुझे ऐसा इसलिए महसूस हुआ क्योंकि वह अक्सर बच्चों के साथ खेलता ही दिखता था मुझे लगा के शायद उसकी तबीयत ठीक नहीं है। मैं यही सोचते हुए फिर से गुनगुनी धूप का आनंद लेने लगा । मेरे घर के पास ही शहजादी मौसी का घर था उनके घर से सटे एक छोटी सी बाड़ी भी थी। जिसमें फल के कुछ पेड़ तथा मौसमी सब्जियों के कुछ पौधे भी थे। जिसे बेच कर वह अपना गुज़ारा करती थीं। उनकी बाड़ी की वज़ह से वहां पर बहुत हरियाली थी जिस कारण वहां पर बहुत अच्छा लगता था। शहज़ादी मौसी अपनी बाड़ी की सुरक्षा इस तरह करती थीं जिस तरह कोई सेठ अपनी तिज़ोरी की। क्या मजाल के कोई उनकी बाड़ी में घुसकर कुछ तोड़ ले। अगर कोई चोरी छिपे उनकी बाड़ी में घुसा और वह पहुंच गईं तो फ़िर उसकी सामत रखी हुई थी पूरा मोहल्ला सर पे उठा लेती थीं । इस लिए कोई भी उनकी इजाज़त के बगैर उनकी बाड़ी में जाने की हिम्मत नहीं करता था। मुझे उड़ते उड़ते यह खबर मिली के उनकी बाड़ी में एक कुत्ता मर गया है जिस जिसे वे वहां से हटाने के लिए आदमी ढूंढ रही हैं पर कोई तैयार नहीं हो रहा है जिसके कारण वह बहुत परेशान थी और सबकी खुशामद कर रही थी कोई इस मरे हुए इस कुत्ते को यहां से हटा दें क्योंकि उस मरे हुए कुत्ते को दूर फेंकवाना बहुत जरूरी था नहीं तो वह 2 दिन के बाद बहुत महकने लगता और उसे हटाना बहुत मुश्किल हो जाता इसलिए वे इस बला से जल्द से जल्द निपटने के लिए सब को मना रही थी मैंने जब उनके घर की तरफ नजर दौड़ाई तो देखा कि छोटू और शहजादी मौसी के बीच कोई बात हो रही थी मैंने सोचा कि छोटू वहां से अक्सर सब्जी वगैरह खरीद कर ले जाता था इसी के लिए बात कर रहा होगा फिर मैंने उस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और गुनगुनी धूप का आनंद लेता रहा लगभग 12:00 बजे जब धूप मुझे तेज लगने लगी तो मैं उठकर छांव के लिए कमरे के अंदर जाने लगा तो क्या देखता हूं कि छोटू इतनी धूप में उस मरे हुए कुत्ते को जिसके गर्दन में रस्सी बंधी हुई थी उसे खींचने की कोशिश कर रहा था और बड़ी मुश्किल से खींच पा रहा था वह पसीने से लथपथ था कुछ बच्चे उसे देख कर हंस रहे थे पर उनकी परवाह किए बिना अपने काम में घूमता बड़ी मुश्किल से मरा हुआ कुत्ता उससे घसीटा जा रहा था मेरा मन किया मैं उसे आवाज दे कर पूछ लूं या जाकर रोक दूं कि वह क्यों ऐसा काम कर रहा है पर मैं हिम्मत नहीं कर सका और उस तमाशे को खड़ा हो कर देखता रहा लगभग एक घंटा में उसको देखता देखता रहा जब तक कि वह मेरी आंखों से ओझल नहीं हो गया जब वह किस्ते किस्ते थक जाता तो रुक जाता फिर हिम्मत करके अपने काम में जुड़ जाता है जिस काम को करने में सब में लाश दिखाई या हिम्मत नहीं कि वह यह काम करने पर क्यों राजी हो गया मैं उसे आवाज देकर रोकना चाहता था और अपना मन मसोसकर अफसोस करते हुए नीचे उतर गया नीचे उतर कर जब मैंने अपने घर में यह बात बताई तो उन्होंने भी बड़ा आश्चर्य हुआ शाम को मुझे पता चला अगर उसमें कुत्ते को मोहल्ले से दूर एक सुनसान जगह पर छोड़ आया था मैंने सोचा कि जब वह मुझसे मिलेगा तो मैं उससे पूछ लूंगा कि उसने ऐसा क्यों किया दूसरे दिन जब मैं मैदान में बैठा हुआ था तो देखता क्यों की छोटू की छोटू को पकड़े हुए सजा दी मौसी के घर की तरफ आ रही है और छोटू रो रहा है मेरे मन में शंका हुई कि आखिर क्या बात है मैंने भी उनके पीछे हो लिया सजा दी मौसी अपनी बॉडी में ही कुछ काम कर रही थी छोटू की मां उसे लेकर सजा दी मौसी के पास गई और पूछने लगी कि क्या इसमें आप से पैसा मांगा था या आपके घर से पैसा चुराया है बोल रहा है कि यह पैसा शहजादी मौसी ने दिया हैऔर जब यह पूछती हूं क्यों दिया है तो कुछ नहीं बोल रहा है मुझे सारा माजरा समझ में आ गया कि कल कुछ रुपए के लिए छोटू उस मरे हुए कुत्ते को यहां से हटाने के लिए तैयार हो गया था मैं यह सोच रहा था कि शाहजादी मौसी कहने लगी अरे नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मेरी बाड़ी में एक कुत्ता मर गया था मैंने हर एक की खुशामद की पर कोई भी तैयार नहीं हुआ यह बेचारा तैयार हो गया तो मैं जो दूसरे को देती मैंने इसको दे दिया इस पर उसकी मां कहने लगी आपने पैसे क्यों दिए और छोटू से पूछने लगी कि तूने पैसे क्यों मांगे इसी तरह काम कर देता और वह उसे मारने लगती है मैं उसकी मां से छोटू को मारने से बचाने की कोशिश करने लगता हूं तभी छोटू रोते हुए कहने लगा कि मैंने पैसे अपने लिए नहीं बल्कि पिताजी के लिए लिए हैं जिनकी 2 दिन से तबीयत बहुत खराब है और डॉक्टर से इलाज के लिए पैसे नहीं हैं और वे जोर जोर से रोने लगा मैं उस मासूम को बड़े ताज्जुब से देखने लगा मुझे वह कोई छोटा बच्चा नहीं बल्कि कोई बड़ा समझदार इंसान नजर आ रहा था और हम लोग सब उसकी समझदारी और खुद्दारी के सामने बौने नजर आ रहे थे जिसने किसी के सामने हाथ फैलाने से बेहतर अपनी ताकत और मेहनत की कमाई लेकर अपनी मां के पास गया और उसके बीमार पिता का इलाज हो सके जब उसकी मां ने यह पूरा किस्सा सुना तो उसकी मां की आंख से आंसू निकल पड़े और उसने उसे अपने गले से लगा लिया।

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दादी की परी
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