Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
"बेटी का विसर्जन" - Rajesh Mirchandani (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

"बेटी का विसर्जन"

  • 65
  • 2 Min Read

"बेटी का विसर्जन"

बेटी को कहकर पराया धन, क्यों करते हो तुम उसका विसर्जन ।
बनकर लक्ष्मी आती है वह आपके घर,

शहनाई बजाकर आप उसे भेज देते हो किसी और के घर ।

कब समझोगे नारी के बिना क्या है तुम्हारी भक्ति,

नारी में है तीनों लोगों की शक्ति ।

हमें देना चाहिए उन्हें पूरा आत्मसम्मान,

वरना रूठ जाएगा जिसको भी तुम कहते हो अपना भगवान ।

Poem written by Rajesh Mirchandani 🙏

.jpg_1682337857.jpg
user-image
Rajesh Mirchandani

Rajesh Mirchandani 1 year ago

👍

प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg