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मैं - Abhishek Khangarot (Sahitya Arpan)

कवितागीत

मैं

  • 110
  • 2 Min Read

कभी मैं कभी तुम कभी वो नज़र आता हूं
मैं ख़ुद को ख़ुद अलग नज़र आता हूं

बदल लिया जब से ख़ुद को उनके लिए
मैं लिए कई नाकामयाबी नज़र आता हूं

गिला नहीं है मुझे किसी ओर से
मैं तो ख़ुद अपने आप से नाराज़ नजर आता हूं

कैसे बताऊं क्या बीती है मुझपर
मैं पुराने लिबाज़ में नया नज़र आता हूं

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