कविताअतुकांत कविता
#साहित्य_अर्पण
#विषय_गुनगुनाती धूप
दिनांक - 17-4-2023 से 21-4-2023 तक
दिनाँक - 20/04/2023
विधा : कविता
विषय - गुनगुनाती धूप
कवि - दिव्यांशु राज
ये सुहानी सी गुनगुनाती धूप
चलो फिर से वो दौर लाते है
भूखे-प्यासे मैदानों में
फिर से वो जुनून जगाते हैं ।
डर अपना , खौफ अपना
फिर से हम बढ़ाते हैं
चलो इस गुनगुनाती धूप को
हम और सुनहरा बनाते हैं ।
सूरज की तपती गर्मी में
हम और पसीना बहाते हैं
चलो अपने पुराने यादों को
हम फिर से जगाते हैं ।
छोड़कर यह मोबाइल को
बाहरी दुनिया में आते हैं
इस गुनगुनाती धूप को
फिर से सुनहरा बनाते है ।
यह सीजन आम का
चलो फिरसे पत्थरों से गिराते हैं
नमक के साथ मिलाकर
वो बचपना वापस लाते हैं ।
छोड़कर ये मोबाइल की दुनिया
प्रकृति से घुल मिल जाते हैं
चलो इस गुनगुनाती धूप को
फिर से सुनहरा बनाते हैं ।