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लोगों के चेहरे - Amit Upadhyay (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

लोगों के चेहरे

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लोगों के चेहरे

परिचित अपरिचित लोगों के चेहरे,
अपने पराए लोगों के चेहरे
बनते बिगड़ते लोगों के चेहरे
चेहरे पे चेहरा लगाए , ये लोगों के चेहरे

यादों के चेहरे - मुलाक़ातों के चेहरे
रोते वो चेहरे- मुश्करते वो चेहरे
ख़ामोशी में गुमसूम- ख़ामोश वो चेहरे
मुस्कान में हँसते- हँसाते - गाते वो चेहरे - गुनगुनाते वो चेहरे
डाँटते डराते वो - लड़ते वो चेहरे
मासूम चेहरे - मधहोश चेहरे

परिचित अपरिचित लोगों के चेहरे,

चेहरों के बाज़ार में चेहरे ही चेहरे
सस्ते ये चेहरे - महँगे ये चेहरे
परिस्थिति के उलझन में - उलझे ये चेहरे
ख़्वाबों के चेहरे - ख़यालों के चेहरे
तपते ये चेहरे - जलते ये चेहरे
जलते-सुलगते, सोते-जागते,

और, आपको ताकते हुए मेरे चेहरे..
ये हैं
मेरे चेहरे, आपके चेहरे

परिचित अपरिचित लोगों के चेहरे-2

रचना
उपाध्याय जी

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