कवितालयबद्ध कविता
लोगों के चेहरे
परिचित अपरिचित लोगों के चेहरे,
अपने पराए लोगों के चेहरे
बनते बिगड़ते लोगों के चेहरे
चेहरे पे चेहरा लगाए , ये लोगों के चेहरे
यादों के चेहरे - मुलाक़ातों के चेहरे
रोते वो चेहरे- मुश्करते वो चेहरे
ख़ामोशी में गुमसूम- ख़ामोश वो चेहरे
मुस्कान में हँसते- हँसाते - गाते वो चेहरे - गुनगुनाते वो चेहरे
डाँटते डराते वो - लड़ते वो चेहरे
मासूम चेहरे - मधहोश चेहरे
परिचित अपरिचित लोगों के चेहरे,
चेहरों के बाज़ार में चेहरे ही चेहरे
सस्ते ये चेहरे - महँगे ये चेहरे
परिस्थिति के उलझन में - उलझे ये चेहरे
ख़्वाबों के चेहरे - ख़यालों के चेहरे
तपते ये चेहरे - जलते ये चेहरे
जलते-सुलगते, सोते-जागते,
और, आपको ताकते हुए मेरे चेहरे..
ये हैं
मेरे चेहरे, आपके चेहरे
परिचित अपरिचित लोगों के चेहरे-2
रचना
उपाध्याय जी