कविताअतुकांत कविता
🌹नन्हीं- सी परी🌹
जन्म आज तुम्हारा हमारे घर हुआ
तुम्हारा आना इक पल को
व्यथित कर गया
घर में हर जन को
क्योंकि
आई हो तुम दूजी
पर देखा जब तुम्हारा चंद्र मुखड़ा
देखी तुम्हारे अधरों पर
मंद - मंद मधुर मुस्कान
खिल उठा हर व्यथित जन
अलौकिक रूप लिए हो तुम
लगती हो नन्हीं सी परी तुम
तुम्हारा कमल नयनों को
बंद करके रोना भी हर्षाता मन को
सौभाग्य की स्वामिनी हो तुम
स्वर्ग से पधारी उर्वशी हो तुम
हाय ! कितनी मूर्ख थी मैं
प्रथम पल तुम्हारा आविर्भाव
व्यथित कर बैठा मनोभाव
तुम तो उर को हर्षाने वाली हो
मुरझाए हर फूल को खिलाने वाली हो
आसमान से उतरी नन्हीं सी परी हो
बुआजी बुआजी बुलाने वाली
कोमल कमल कली हो
उर्मिला यादव
मालड़ा
महेंद्रगढ़