कविताअतुकांत कविता
🌹मेरी प्यारी भाभी मां🌹
साल नौ की थी मैं ,
घर में जब तुम आई।
बैठ सोफे पे, ले गोद में मुझे
फोटो तुमने खिंचवाई।
कितना प्यारा रिश्ता हमारा,
भाभी नहीं भाभी मां कहलायी।
घर में सबसे छोटी थी मैं,
मा-पापा की सबसे प्यारी थी मैं।
कितना प्यारा रिश्ता हमारा,
भाभी नहीं भाभी मां कहलायी।
सुनाई तुमने वेद ,पुराण, रामायण,
महाभारत की कहानियां।
सीख तुम्हारी काम आई,
कम कर दी मैंने शैतानियां।
कितना प्यारा रिश्ता हमारा,
भाभी नहीं भाभी मां कहलायी।
जो जाती न थी कभी स्कूल,
हफ्ते में बार दो जाने लगी ।
आता न था जिसको अक्षर एक,
प्रथम कक्षा में आने लगी।
कितना प्यारा रिश्ता हमारा,
भाभी नहीं भाभी मां कहलायी
जिंदगी के हर मोड़ पर
सीख तुम्हारी काम आई
कोशिश तुम्हारी मेहनत मेरी रंग लाई ,
सफलता मैंने पाई।
कितना प्यारा रिश्ता हमारा
भाभी नहीं भाभी मां कहलायी
स्व रचित मौलिक कविता
उर्मिला यादव
मालड़ा
महेंद्रगढ़