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फूलों की विदाई - Urmila Urmila (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

फूलों की विदाई

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12वीं कक्षा के विद्यार्थियों के विदाई समारोह पर काव्य पंक्तियों के माध्यम से विद्यार्थियों को शुभाशीष।


"फूलों की विदाई"

इक दिन शारदे के प्रांगण -
छोटी-छोटी कलियां आई महकने।
शारदे प्रांगण को कलियां,
फूल बन लगी महकाने।
कलियों ने फूल बन सीखा ,
इकाई दहाई पहाड़ा।
इक दूजे संग सिखा,
नाना खेल टंगड़ी अड़ा ।
फूलों ने चहुं ओर फैलाई खुशबू,
उर में गुरुओं के समाने लगी खुशबू।
नन्हें फूल हंसते,खेलते ,
रोते, करते शैतानियां ।
नन्हीं नन्हीं कदम चाल से ,
किया पार पहला प्रांगण।
लेकर नए सपने , नया जोश,
नई उम्मीद किया प्रवेश दूजे प्रांगण।
दूजे प्रांगण संग विद्या,
दमकाने लगे शारदे प्रांगण।
इक नई उर्जा, नई रोशनी ,नई उमंग
संग किया प्रवेश तीजे प्रांगण।
अब फूल परिपक्व हो लगे ,
महकाने प्रांगण भीतर बाहर।
अब फूल पर-पर उड़ने ,
को हैं नभ में तैयार।
हे! फूल तुम , उड़ो, खूब उड़ो,
फैलाओ खुशबू अपनी चहुं ओर।
करते हैं विदाई आज तुम्हारी,
जाओ! बन रोशनी करो प्रकाशित भीतर- बाहर।
फैला दो अपना प्रकाश चहुं ओर,
करते हैं विदाई आज तुम्हारी।

स्व रचित मौलिक कविता
उर्मिला यादव

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