कविताअतुकांत कविता
₹स्व रचित कविता#
प्रियतम
जब से तुम आए हो जिंदगी में मेरी।
बदल गया जीने का तरीका जिंदगी का मेरी।।
भेंट हुई तुमसे जब पहली बार।
हृदय के तार झंकृत हुए तब पहली बार।।
मिलकर तुमसे लगा मानो लग गई नैया पार।
दिया नाम मैंने तुमको शिव का चमत्कार।।
जिस पूर्ण पुरुष के मैंने देखे सपने।
पा कर तुम्हें हो गए पूरे मेरे सपने।।
जिस वस्तु की चाहत दिल में होती।
बिन कहे वो पल में ही पास मेरे होती।।
अथाह प्रेम करते हो पर व्यक्त नहीं करते हो।
बात यही खलती है प्रियतम मेरे।।
उर्मिला यादव