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बाजार - AJAY AMITABH SUMAN (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

बाजार

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झूठ के बाजार में मिला नहीं,
माजरा क्या है, तू हिला नहीं।

अजय अमिताभ सुमन

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