कविताअन्य
-( जुदा तन्हा रात )-
जुदा तुमने मुझे किया लेकिन खुश आज फिर तुम नहीं ।
यह चांद आज ख़फा-ख़फा सा लग रहा है पास से न तो दूर से ही सही ।।
दुःख तो बहुत है मुझे दर्द का अपना न तो पराया ही सही ।
काश मैं तेरे दर्द भी अपनी तरफ़ मोड़ पाता पर मैं बदकिस्मत तेरे हाथ की एक लकीर तक नहीं ।।