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जुदा तन्हा रात - Anuj Arya (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

जुदा तन्हा रात

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-( जुदा तन्हा रात )-

जुदा तुमने मुझे किया लेकिन खुश आज फिर तुम नहीं ।
यह चांद आज ख़फा-ख़फा सा लग रहा है पास से न तो दूर से ही सही ।।
दुःख तो बहुत है मुझे दर्द का अपना न तो पराया ही सही ।
काश मैं तेरे दर्द भी अपनी तरफ़ मोड़ पाता पर मैं बदकिस्मत तेरे हाथ की एक लकीर तक नहीं ।।

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