कवितालयबद्ध कविता
उमंग
लिपट कर तुमसे जो उमंग चढ़ती है।
होने से ही तुम्हारे जिंदगी मिलती है।।
यूं ही लिपट जाया कर सीने से मेरे।
आगोश में ही तेरे तसल्ली मिलती है।।
डुबाती हो जब इन नशीली आँखों में।
डूब कर ही उसमें तबियत खिलती है।।
अधरों को अपने मिला मेरे अधरों से।
नशे की झलक ही यहीं पर मिलती है।।
हमारे जिस्म जब टकराए आपस में।
तुम्हारे पास होने की महक मिलती है।।
खो जाऊं तुम्हारे केशों के आंचल में।
ऐसी काली मस्त घटा कहां मिलती है।।
तुमसे ही मेरी जिंदगी में ये उजाला है।
ऐसे उजाले की चमक कहां मिलती है।।
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देवेश दीक्षित
7982437710