कविताअन्य
विषय - चाय ☕☕☕☕
दो पल संग बैठने को मजबूर करती ये चाय यारों
बातचीत का थोड़ा सा सिलसिला अपने संग चलातीं ये चाय यारों
चाय का नशा भी कितना मदहोश सा कर जाता हैं यारों
होंठों से लगाते ही प्याला नस, नस में फुर्ती सी जगाता है यारों
सुबह की नींद को आंखों से ओझल कराती ये चाय यारों
नाम-प्रभा इस्सर ✍️
शहर-देहरादून
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