कवितागजल
तुम्हारे बिन मेरा जीवन बड़ा बेरंग है,
तुम्हारे संग ही जीवन के सारे रंग है,
ना इक भी कॉल, मैसेज और ना बातें,
बताओ इस तरह से कौन करता तंग है,
हमारी पहली होली और तुम बिन,
ना हर्षोल्लास मन में, ना कोई उमंग है,
ग़ज़ल और गीत लिखने पड़ रहे हैं,
मनाने का मुझे बस यही मालूम ढंग है,
चलो! अब मान जाओ, मुस्कुराओ,
कि मिलकर खेलते होली लगाते रंग है,
~© शिवांकित तिवारी "शिवा