कविताबाल कविता
होली में मची है धूम
रंग विरंगी आई होली ,
खेंलें राधा ,गुल्लो ,रोली।
और खेलता मेरा भैया ,
खूब डांटती मेरी मैया ।
तभी सुनहरी दौड़ी आई ,
देख उसे झट मैं घबराई ।
बंद हुई कमरे के अंदर ,
होली खेले पवन जुगेंदर।
पापा ने इक खिड़की खोली ,
आ धमकी राधा की टोली ।
फिर मिलजुल कर खेली होली ,
मम्मी मेरी प्यार से बोली ।
अब सब खाओ खूब मिठाई ,
हँसी ख़ुशी की होली आई ।
प्रस्तुत बाल कविता होली त्यौहार पर आधारित है । यह कविता स्वरचित, मौलिक है ।