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बाल कविता होली में मची है धूम - Kamlendra Kumaar Srivastava (Sahitya Arpan)

कविताबाल कविता

बाल कविता होली में मची है धूम

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होली में मची है धूम

रंग विरंगी आई होली ,
खेंलें राधा ,गुल्लो ,रोली।
और खेलता मेरा भैया ,
खूब डांटती मेरी मैया ।
तभी सुनहरी दौड़ी आई ,
देख उसे झट मैं घबराई ।
बंद हुई कमरे के अंदर ,
होली खेले पवन जुगेंदर।
पापा ने इक खिड़की खोली ,
आ धमकी राधा की टोली ।
फिर मिलजुल कर खेली होली ,
मम्मी मेरी प्यार से बोली ।
अब सब खाओ खूब मिठाई ,
हँसी ख़ुशी की होली आई ।

प्रस्तुत बाल कविता होली त्यौहार पर आधारित है । यह कविता स्वरचित, मौलिक है ।

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