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*कालचक्र* - Chandralata Yadav (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

*कालचक्र*

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*****कालचक्र*****

बह गया सब
समय चक्र संग
नाते -रिश्ते ,संगी ,साथी
छीन ली
यादें भी।
जंग
कोरोना संग
कायदे कानून से तंग।
जीवन समेट लेने को
आतुर मन,
कांपता तन,
बचने के असफल प्रयास।
बेसुध वक्त की
मौन सहमति से
कालचक्र
आगोश में खींच रहा है.....।
अनंत......।

(चंद्रलता)

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