कविताअतुकांत कविता
ऐसा था, मौसम...
सुहाना सफर है,
मौसम भी खुशनुमा है,
जैसे खिलती हुई मुस्कान,
जिंदगी का एक हिस्सा है।।
आज फिर मौसम ने दस्तक दी है,
ठंडी का
एक शाम सुहानी रातों में
फिर एक इंतजार सा,
शाम सी गुजरी है।।
खिलती हुई मुस्कान अपने में ही खुश है,
यह तो एक ख्वाहिश है,
जो रातों में दिखती है,
और दिन में ओझल हो जाती है।।
कैसा था, वो रात
जिसमें बहुत सारी यादें छुपा कर रखते थे।।
अब बेपरवाह सा मौसम है,
ठंड भी लगती है, सुहाना भी रहता है,
मौसम सर्द हवाएं भी चलती है।।
ऐसा था मौसम ऐसा था मौसम...!!