Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
कुछ लिखे - reach to (Sahitya Arpan)

कविताअन्यबाल कविता

कुछ लिखे

  • 158
  • 3 Min Read

अच्छा आज,

शिर्षक थोड़ा अटपटा है,
पर लेखनी का अलग मज़ा है,
जैसे वक़्त बीतता है,
वैसे ही लेखनी में कुछ नया सूझता है,
कभी कभी सब कुछ लिखने को जि करता है,
तो कभी चन्द लाईनों में दिल भर आता हैं,
थोड़ा बेचैन कर देता हैं वक़्त का खेल,
मन भी आंसू से भिग जाता है,
भारी लगने लगते हैं आंसू मन को,
तो मन ख़ुद कह देता है,
अच्छा आज क्या लिखा जाएं,
कुछ ऐसा जो खिड़की की सीट पर बैठे और,
स्टेशन पर उतरते यात्रियों के मन तक पहुंच जाएं,
अकेले बैठे उस उदास बच्चे की हसी बन जाएं,
पटरी पर किताबे बेचते व्यक्ति का मन हल्का कर जाएं,

अच्छा आज कुछ लिखा जाएं

2021-12-18_10108815814474_1640360591.gif
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
1663935559293_1726911932.jpg
यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
logo.jpeg