कविताअन्य
कविता शिर्षक-‐-- "आज अचानक "
आज अचानक मुझे
उन लम्हो की याद आई ,
वो भी क्या वक्त था।
जब हम अपने दोस्तो के साथ ,
खुब मजे से दिन भर खेला करते थे।
न किसी का डर न किसी की डाट ,
बस अपनी ही धुन मे रहा करते थे।२
आजकल के बच्चे भी दिन भर,
मोबाइल मे गेम खेला करते है।
उन्हे भी न किसी का डर न किसी की डाट ,
बस अपनी ही धुन मे रहा करते है।२
फर्क बस इतना सा है ,
हम अपनो के साथ खेला करते थे
ओर अब मोबाइल के साथ खेला करते है।
आज अचानक मुझे उन लम्हो की याद आई।
नाम--आयुषी दाधीच