कविताबाल कविता
पापा
ख़ुद से ज़्यादा बच्चों की
ज़रुरतों का फ़िक्र करते हैं
सच में पापा कितने अच्छे होते हैं
दिन रात एक करके सब की ज़रुरतों को
पूरा करते हैं
सच में पापा कितने अच्छे होते हैं
ख़ुद पैरों में टूटी चप्पल डाल कर
दिन भर का सफ़र तैय करतें हैं
सच में पापा कितने अच्छे होते हैं
पूरे घर की जिम्मेदारियों को कन्धों पर
उठा कर कभी भी बोझ आंखों में ना झलकने देते हैं
सच में पापा कितने अच्छे होते हैं
ख़ुद से ज़्यादा बच्चों की ज़रुरतों का फ़िक्र करते हैं
सच में पापा कितने अच्छे होते हैं
नाम-प्रभा इस्सर