Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
तुम और तुम्हारी बातें - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

तुम और तुम्हारी बातें

  • 134
  • 3 Min Read

तुम और तुम्हारी बातें*

तुम व तुम्हारी बातें पूरक हैं परस्पर
जब तुम याद आते हो
तुम्हारी बातें गूँजने लगती कानों में
तुम्हें, मैं भूलना चाहूँ भी तो
नहीं भूल पाती, वो लम्हें,
वो मुलाकातें
तुम्हारा कहना कि मैं हूँ ज़िन्दगी तुम्हारी
रह रह कर याद दिलाता
मुझे
कि तुम बसे हो मेरी हर साँस में
लोग भले कहे कि बातें हैं बातों का क्या
लेकिन बातों ही बातों में प्यार जताना
मुझे तुम्हारी याद दिला देता है
तुम पास रहो या दूर रहो
तुम्हारी मीठी प्यारी बातें
मेरी यादों में समाई रहती हैं
तेरी बातों ने ऐसा कमाल कर दिया
बैठे ठाले जीने का सहारा मिल गया
सरला मेहता
इंदौर

logo.jpeg
user-image
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
आग बरस रही है आसमान से
1663935559293_1717337018.jpg