कविताअतुकांत कविता
*****ओजसपूर्ण 'हिन्दी'******
तेज ,
तीव्रतर ,
गति की भाषा,
अखिल विश्व में मात्र 'हिन्दी '।
ये जीवन का हिस्सा ।
मेरी ,तेरी न उसकी
सारी दुनिया की,
आपकी है,
मेरी है
'हिन्दी'
ओजसपूर्ण
असंख्य भाषाओ की अरुणिमा,
दुनिया भर की संस्कृति बीच
एक सेतु सम
न्यारी है।
'हिन्दी' में रुचि
भारत की अस्मिता
है सबका गौरव
छू लेती अंतर्मन को।
गर स्वीकार करें अंतर्मन
वही क्षण स्वर्णिम,
स्वर्णिम काल
हिन्दी का।
✨✨चंन्द्रलता यादव