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कवितागजल
थोड़ी दूर तो साथ चलों हाथों में डाल हाथ चलों मंजिलों को तो साथ मिलकर पार करों उखड़े उखड़े मिज़ाज को तो छोड़ो बातों को तो कहना सीखों अपनी नाराज़गी को तो दूर करों थोड़ी दूर तो साथ चलों __prabha Issar