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कवितानज़्म
उससे मिलने की खुशी मत पूछो यादों के पिटारों का जैसे खुल जाना चांद सितारों का धरती पर रोशनी बिखेरना ओस की बूंदों का जैसे पत्तों पर ठहरना आईने का जैसे मुझ से ही शरमा जाना दिल के अरमानों का मचल मचल जाना उससे मिलने की खुशी मत पूछो __prabha Issar