कविताअन्य
जिंदगी को बस पन्नों में लिख देता हूँ ।
जो कुछ नहीं कहे सकता दूसराें से
बस उनकाे अपनी सायरी में बाता देता हूँ ।
लोग समझते है मुझे खुश
मैं उनके सामने बस गमाें को दबा देता हूँ ।
होता हूँ मैं जब भी उदास
बस लिखकर मैं अपनी उदासी को भागा देता हूँ ।
लोग समझते है इन्हें गीत
इन्हें गीता में मैं आपना दर्द बाता देता हूँ ।
ना मुझे कोई समझ पाया
मैं खुद ही खुद को समझा देता हूँ ।
स्वपनाे का संसार ना मुझको को भाता
मैं हर राेज शब्दाे का संसार बना देता हूँ ।
जिंदगी हर राज सीखाती एक नया पाठ
मैं उस पाठ से जिंदगी को एक नया मुकाम देता हूँ ।
काेई दवा हो जिससे किसी को भुला जा सके
अक्सर मैं उनकी यादें में राे देता हूँ ।
यूँ तो जिंदगी में हुए किस्से बहुत
मैं उने किस्साें को जिंदगी की डायरी में सजा देता हूँ