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छुआ छूत - Prabha Issar (Sahitya Arpan)

कहानीसामाजिक

छुआ छूत

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छूआ छूत
छूआ छूत बहम ये सब हम इन्सानों में कहा से आया भगवान महक अपने माता-पिता की दुलारी भाई बहन
की जान अपने घर में सबसे छोटी छूआ छूत बहम इन
सब से अनजान अपने मायके में बेफिक्र सी उड़ने वाली
सब की दुलारी अपने घर की हर पूजा में शामिल होने
वालीं माता रानी की ज्योति जलाने वाली लक्ष्मी मां के
व्रत रखने वाली मां पर विश्वास रखने वाली आज शादी
करके दूसरे के घर को रोशन करने चली गई माता-पिता ने एक ही बात महक को समझाई की सुसराल में सांस ,ससुर ,पति , ही सब कुछ है इसी बात को महक ने भी
गांठ बांध लिया था अभी नई नई शादी ही हुईं थीं उसकी
सुसराल के रीति-रिवाज में रमना शुरू ही किया था उसने थोड़े दिन गुज़रे ही थे उसके सुसराल में महक
ने महसूस किया कि उसकी सांस छुआ छूत में बड़ा
विश्वास कर रही थी __prabha Issar

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दादी की परी
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