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छल कपट धोखा - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

छल कपट धोखा

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छल कपट धोखा

छल, कपट और धोखा
जीवन के हैं कटु भाव
रामायण व महाभारत से
द्वापर में इनका प्रादुर्भाव

कपटी कैकई को भरमाया,
कुटिला मंथरा की चाल ने
रावण ने साधुवेश धरा,
छल से सीता-हरण किया
बाली ने धोखा करके,
भाभी का ही वरण किया
ममता के वश श्रीराम ने,
क्षमा किया विमाता को
बल से छल को हरा दिया,
सीता को आज़ाद किया
सुग्रीव के हक में लड़े राम,
नारी का सम्मान किया

कपटी शकुनि की चालों में,
राजपाट हारे पांडव थे
कौरवों ने लक्षगृह रचा,
पांडव परिवार को कैद किया
अभिमन्यु संग छल हुआ,
चक्रव्यूह का गठन हुआ
किंतु पांडवों की सच्चाई से,
कृष्ण की चतुराई से,
शकुनि की चालें विफल हुई,
समझदारी से धोखे को,
रणभूमि में परास्त किया
अंधों व गूंगों के रहते,
नारी का सम्मान हुआ

क्यूँ न त्यागे छल कपट धोखा?
सच्चाई का अनुगमन करें
ईर्ष्या द्वेष बैर छोड़ दें
शांति प्रेम सहयोग करें
स्वरचित
सरला मेहता
इंदौर

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