कविताबाल कविता
बचपन
वो अठखेलियों से भरा हुआ बचपन
वो बचपन की रेल वो बचपन के झूले
वो बरसात के पानी में तेरा मेरा छप छप
कर के कूदना
वो पानी का बार बार कपड़ों पर छलकना
वो बचपन में तेरा मेरा लुकाछिपी का खेल
वो झट से तेरा आकर मुझे ढूंढ लेना
वो शरारत से भरा हुआ तेरा मेरा बचपन
वो बचपन वो बचपन तेरा मेरा बचपन
वो जिम्मेदारियों का बोझ तेरे मेरे कन्धों
पर पड़ना
वो एक दूसरे का साथ बीच में ही छूट
जाना
वो बचपन वो बचपन तेरा मेरा बचपन
वो मंजर याद है तुमको __prabha Issar