कविताबाल कविता
मेरा ओर तुम्हारा रिश्ता मां
जैसे मिट्टी का पानी से
जैसे समंदर का गहराई से
जैसे दुःख का सुख से
मेरा ओर तुम्हारा रिश्ता
जैसे फूलों का कलियों से
जैसे सांसों का धड़कनों से
जैसे रोती हुई आंखों से
हंसी की किलकारियों तक
जैसे चलते हुए छोटे छोटे कदमों से
उठते हुए बड़े बड़े कदमों तक
जैसे उलझन से लेकर
जीवन की सुलझन तक
मेरा ओर तुम्हारा रिश्ता
जैसे छोटे छोटे हाथों को पकड़ने से
लेकर बड़े बड़े हाथों को थामने तक
जैसे अच्छे से लेकर बुरे तक की समझ तक का
मेरा ओर तुम्हारा रिश्ता
जैसे बचपन की हंसी से लेकर
जवानी के पड़ाव तक का
मेरा ओर तुम्हारा रिश्ता मां
__prabha Issar