कहानीलघुकथा
*लगे रहो मुन्ना भाई*
ए पी जे कलाम ने कहा है
ख़्वाब देखना कभी नहीं छोड़े
एक दिन वही हक़ीक़त बनेंगे
पर देखना ही पर्याप्त नहीं
कुछ लक्ष्य बनाने होंगे
मंज़िल को हाँसिल करने
अपनी योजना बनाइए
कार्यरूप में परिणित करने
लगे रहो मुन्नाभाई तर्ज़ पर
चिपको आंदोलन करिए
आइंस्टाइन गेलिलियो
एक दिन बन जाएंगे जरूर
सारे ख़्वाब आपके एक दिन
हक़ीक़त अवश्य बन जाएंगे
सोते हुए सिंह के मुख में
मृग स्वयं नहीं प्रवेश करते
बिन निवालों को निकले
भूखे का पेट नहीं भरता
कोशिश करने वाला बन्दा
सब पाकर ही दम लेता
तभी जीत का सेहरा बंधता
स्वरचित
सरला मेहता
इंदौर