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चूड़ियाँ - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

चूड़ियाँ

  • 154
  • 2 Min Read

विषय:---- चूड़ियाँ
विधा:----तांका

लाल चूड़ियाँ
पहने दुल्हनियाँ
मिलेंगे पिया
सजी हैं कलाइयाँ
लागे ना नजरियाँ

सुहाग चिन्ह
रंग हैं भिन्न भिन्न
सोहे दुल्हिन
हाथों का ये गहना
कभी रहे ना सूना

किस्म अनेक
काँच लाख या स्वर्ण
नारी प्रियम
सौभाग्य के बंधन
न्यारे चूड़ी कंगन

सरला मेहता
इंदौर
स्वरचित

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