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भाग 3 छुआ छूत - Prabha Issar (Sahitya Arpan)

कहानीसामाजिक

भाग 3 छुआ छूत

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छुआ छूत भाग __३
महक के गले से एक भी निवाला नहीं उतर रहा था।उस दिन उसे अपने मायके की बड़ी याद आईं। अन्दर से उसका दिल रो रहा था। भगवान को बार-बार गुहार लगा रही थी। जो औरत ख़ुद जननी है इस संसार की । महीना आने पर क्या वो अशुद हो जाती हैं। जिस औरत के बिना इस संसार में आना ही असंभव है । क्या इतनी ही कीमत है औरत की इस संसार में बच्चा पैदा कर के ।
दें दो तो सिर पर उठा लेंगे । और जिस मासिक धर्म से
बच्चा बनातीं है। वाह रे भगवान क्या लीला है आपकी औरतों को कितना सहना पड़ता है हर पल मरना पड़ता है ।
छुआ छूत भाग __3

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