कवितालयबद्ध कविता
मायका
मायका मेरा मायका हां हां मेरा मायका
जिस मायके में मेरी किलकारियां कभी गूंजी थी।
जिस मायके में मेरे लिए कभी लोरिया गायी थी।
मायका मेरा मायका हां हां मेरा मायका।
गूंजती हुई किलकारियां गूंजती हुई लोरिया आज भी मुझे पुकारती हैं।
मायका मेरा मायका हां हां मेरा मायका
अब तो लगता है खो सा गया मेरा मायका।
मां तेरे गुजरने के बाद तो बिखर सा गया मेरा मायका।
बाबुल भी मेरे अब तो बिखर से गये है।
जिस मायके में मां तेरी खुशबू कभी मिलती थी।
उस मायके में तो मां बाबुल की अब तो मजबूरी सी झलकती है
मायका मेरा मायका हां हां मेरा मायका
जीवन की यादों का सुनहरी सा मायका
मायका मेरा मायका हां हां मेरा मायका
जिस मायके में मां कभी हंसी गूंजती थी
उस मायके में तो मां अब ख़ामोशी सी बिखरी है
मायका मेरा मायका हां हां मेरा मायका
जिस मायके में मां कभी सुख दुःख की बातें करते थे
तेरे मेरे हिस्से में आये सुख दुःख बांटते थे
उस मायके में तो मां आज मातम सा छाया है
बाबुल भी अब तो बिखर से गये है मां तेरे जाने के बाद तो मायका भी मेरा बिखर सा गया है
मायका मेरा मायका हां हां मेरा मायका
__prabha Issar