कहानीसामाजिक
छुआ छूत भाग _२
महक के सुसराल का घर बहुत छोटा था । तो उसकी सांस ने मंदिर अपनी रसोई में ही बनाया हुआ था। तभी
उन्हीं दिनों माता रानी के नवरात्रे आरम्भ हो गये। अभी
महक के पहले नवरात्रे थे अपने सुसराल में। महक सुबह
सुबह उठीं बिना नहाए काम से रसोईघर में जाने लगीं
तो उसकी सांस ने बड़े रोव से बोला मेरी रसोई में नहाएं
बिना तू नहीं आयेगी । उन्हीं दिनों महक को मासिक धर्म
शुरु हो गये। नवरात्रों के दौरान सांस को इस बात का पता चला तो सांस ने बड़े रोव से बोला जब तक मेरे
नवरात्रे चल रहे हैं तू मेरी रसोई में क़दम नहीं रखेंगी
इस बात को सुनकर महक के दिल को बड़ा धक्का सा
लगा । उसने देखा कि उसकी सांस उसके पति , उसके ससुर,को तो घर के बर्तनों में खाना परोस कर दें रही थी
महक को खाना दिया उसने डिस्पोजल के बर्तनों में
उस दिन महक का दिल अन्दर से रो रहा था
दिल को बड़ा धक्का सा लगा
__prabha Issar छुआ छूत भाग _2