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कवितालयबद्ध कविता
लक्ष्य कैसा भी हो पार तो उसको करना है धूप में तप कर ही सही सोना तो बनना है मुश्किलें कितनी भी हो पार तो उनको करना है आग में ख़ुद को झोंक कर ही आसमान तो पाना है लक्ष्य कैसा भी हो पार तो उसको करना है