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एक जरूरी बात - Prabha Issar (Sahitya Arpan)

कविताबाल कविता

एक जरूरी बात

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एक ज़रुरी बात
हिस्से मेरे भी आई थी
मां ने मुझे कभी बतलाई थीं
मां ने अपने अनुभवों से समझाई थी
कभी उत्सुकता से मैंने भी जानी थी
जीवन में उलझनों में फस जाओ तो
उलझनों से उभरना भी आ जाएगा
जीवन में मुस्कुराना भी आ जाएगा
बुद्धि , संयम , समझदारी से लेना काम
जीना इस दुनिया में आ जाएगा
एक जरूरी बात
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