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हिंदीवासी हिंदी बोलो - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

हिंदीवासी हिंदी बोलो

  • 313
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हिन्दवासी हिंदी बोलो*

हम हिंद के रहवासी हैं
हिंदुस्तानी कहलाते हैं
हिंदी हमारी मातृभाषा है
यह देश की राजभाषा है
राष्ट्रभाषा भी बन जाएगी
ए हिंदवासियों हिंदी बोलो

जननी जन्मभूमि हमारी
स्वर्ग से भी महान होती
तीसरी माँ है ये मातृभाषा
प्रथम पूजनीय को त्याग
क्यूँ पहने विदेशी ये जामें
सबसे पहले हिंदी ही बोले

यह सहज सरल व मधुर है
झोपड़ी से महल तक जाती है
संचार विचार का आधार है
देश का अभिमान पहचान है
एकता की भी ये सूत्रधार है
संस्कृत की संस्कारी बेटी है

विश्व बोलियों में तृतीय नं है
विश्व में देश का अस्तित्व है
सबने माना हमारा प्रभुत्व है
इतिहास भी इसका भव्य है
बने भारतीयों का व्यक्तित्व है
हम सबको मिला मातृत्व है

विज्ञान पर भी खरी उतरती है
ध्वनि सिद्धांत पर आधारित है
जो सोचे वही बोले व लिखते
अंकल आँटी घोटाला नहीं है
हर भाव के पृथक से शब्द हैं

अपवादों में नहीं उलझाती है
व्यंजन से मिल अक्षर बनाती
अक्षरों से वाक्य बना देती है
संज्ञा से संबोधन- कारक हैं
अलंकार,संधि,समास,गद्य पद्य
भंडार साहित्य का बनाते हैं

सब भाषाएँ हिंदी की बहनें हैं
अंग्रेजी से नाराज़ नहीं ये
सबको साथ में लेकर चलती है
यह तो जन जन की भाषा है
संप्रेषक सृजनशील भाषा है
बोलो हिंदी व करो जयहिंद
स्वरचित
सरला मेहता
इंदौर

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