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मंजिलें मिल जाएगी - Prabha Issar (Sahitya Arpan)

कविताबाल कविता

मंजिलें मिल जाएगी

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मंजिलें मिल जाएगी
उठो मेरे प्यारे प्यारे बच्चों
मंजिलें ये रास्ते में सूर्य की पहली किरण
खिल खिलाते ये फूल रंग बिरंगी तितलियां
सब है तुम्हारे लिए
उठो मेरे प्यारे प्यारे बच्चों
मंजिलें मिल जाएगी
कदमों को बढ़ने दें
आशाओं को पूरा करों
मंजिलें मिल जाएगी
हर राह आसान हो जाएगी
मंजिलें मिल जाएगी
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