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कवितागजल
चलों लम्हें चुराते हैं दूर कहीं चले जाते हैं मोहब्बत के फूल उगाते हैं दूनिया की नजरों से छुप जाते हैं हर एक लम्हा जी लेते हैं लम्हों से लम्हें चुराते हैं चलों लम्हें चुराते हैं __prabha Issar