कविताबाल कविता
मेरी प्यारी मां
मां हर ग़म मेरा लें लेती थी
बुरी नजरों से छुपा लेती थी
हर कोई अपना सा लगता था
मां का साथ छुटा
हर एक रिश्ता टूटा
मां आंसुओ को कभी ना आने देती थी
मां बनकर आज मैं जान गई
वो दौर फिर से आया है
मां का हर लम्हा जीना बाक़ी है
एक दौर था
जब मां थी मां थी