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कवितादोहा
सचमुच आज तो आज तो आंखें नम हो गई इंसान की इंसानियत कम हो गई क्यों आज का इंसान सिर्फ अपने लिए ही सोच रहा सचमुच आज तो आंखें नम हो गई __prabha Issar