कविताअतुकांत कविता
सार्थक करें ये दीपावली
घर की साफ़ सफाई संग
करके दुर्गुणों की विदाई
और मूल्यों के सतरंगों से
जिंदगी की कर ले पुताई
धनतेरस है धनधान्य भरे
निज सेवकों का ध्यान रहे
परम धरोहर सेहत अपनी
इसकी कुंजी संभाल रखे
रूपचतुर्दशी सँवारे जीवन
नरकासुरों का संहार करें
तन व मन दोनों हो सुंदर
कुछ ऐसा ही प्रयास करें
माटी के दीयों की जगमग
अमावसी कालिमा को हरे
खुशियों की फुलझड़ियाँ हो
पर्यावरण का आव्हान करें
गोवर्धन पूजा करते हैं हम
पशुधन का परिपालन करें
मीठा खाए व वैसा ही बोले
बंधुता का अब श्रीगणेश करें
भाईदूज पर तिलक लगे
आत्मस्वरूप स्मरण करें
महाभारती कलहों से परे
रामायणी परंपरा शुरू करें
दीप से दीप जलाएँ ऐसे
मन का सब अंधकार हरे
सब अच्छा, सब अच्छे हो
आओ दिवाली सार्थक करें
सरला मेहता
इंदौर