Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
अपनी अपनी ड्यूटी - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

अपनी अपनी ड्यूटी

  • 208
  • 5 Min Read

अपनी अपनी ड्यूटी

मुँह अंधेरे से ही मूसलाधार बारिश होने से स्वच्छताकर्मीणियाँ अपना कार्य करने में असमर्थ थी। घर से निकले तो कैसे निकले। ज्यों ही इन्द्रदेव की कुछ कृपा हुई, निकल पड़ी ये नीली वर्दी वाली टोली।
अपनी झाड़ूओं से करने लगी सड़क की सफ़ाई। यूँ तो शहर के नागरिक जागरूक हैं स्वच्छता के प्रति। सूखे व गीले कचरे को बाक़ायदा नीले हरे कूड़ादानों में रख नगर निगम की कचरागाड़ी में डालते हैं। किंतु कुछ लोग चोरी छुपके यहॉं वहाँ कचरा फैलाने से नहीं चूकते।
ऐसे में ये सफ़ाई कर्मी अपना कर्तव्य समझते हैं कि कहीं कचरा नालियाँ चोक ना करदें। सड़कों पर बारिश में फुटबॉल आदि खेलने वाले ताना मारने से नहीं चूकते, " क्या एक दिन सफ़ाई नहीं हुई तो नं वन का तमगा छीन लेगी सरकार। "
बेचारी सफ़ाईकर्मी महिलाएँ बेकार की बहस से बचती हैं। उनकी नेत्री कहती है, " इनके मुँह क्या लगना, वो कोने वाली आंटी जी चाय नाश्ते के लिए इशारा कर रही हैं, रोज़ की तरह।"
सरला मेहता
इंदौर

logo.jpeg
user-image
दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG