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ये क्या है - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

ये क्या है

  • 92
  • 5 Min Read

विषय:---हास्य
शीर्षक:-- *ये क्या है*

टायर बर्स्ट होने से गाँव की एक सड़क पर बस खड़ी कर ड्राइवर ने हिदायत दी, " एक घण्टा लगेगा।"
सब यात्री बाहर आकर भुट्टे अमरूद वगैरह खरीदने लगे। एक आधुनिक बाला भी खूब महँगा सा पर्स लटकाए टहलने लगी। वह यहाँ वहाँ खड़ी हो मोबाइल से सेल्फी लेने लगी। उसके ब्वाय कट बाल देख ग्रामीण महिला पूछ बैठी, " तुम बेन हो के भई ? "
लड़की ने गॉगल्स ऊपर चढ़ाया, " मैं डॉली हूँ।"
महिला पल्लू मुँह पर लगाए बोली, " ए बई, तू तो छोरा लागे। और या फाटी पतलून क्यों पहनी ? थोड़ी तो सरम कर ओ।"
अमरूद खाते हुए डॉली एक पत्थर पर बैठ गई। जैसे ही उसने स्कार्फ़ उतार कर पैर ढाँके, उसकी पीठ दिखने लगी।
हँसी रोकते अमरूद वाली से रहा नहीं गया, " दिखे बिलाऊज में कपड़ा कम पड़ गया बेन। पर्स इतनो महँगो मत लेती ओ बेन। बिलाऊज को कपड़ो थोड़ो ज्यादा आ जातो।"
बेचारी डॉली खिसियाती हुई बस में जाकर बैठ गई। देहातिनों की चटकारे वाली चर्चा जारी थी, " लगे छोरी सनिमा में काम करे है।"
स्वरचित
सरला मेहता

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दादी की परी
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