कविताअतुकांत कविता
शक्ति स्वरूपा देवियों से प्राप्त
गुणों से भगाएँ रोग।
सात गुण सात रोग
स्नेह प्यार की शीतल बयार
ह्रदय रोगों से बचाती संसार
क्यों न प्यार दें और प्यार ले
शान्ति का चहुँ ओर हो प्रसार
श्वास अस्थमा नहीं आए द्वार
तभी कहते शान्ति से सांस लो
संतोष व सुख का करो संचार
पेट रोग अपच सब मानेंगे हार
सुना है,सुख से दो जून खाओ
फैलाओ सदा ज्ञान का प्रकाश
मानसिक रोगों का होता नाश
चिंता नहीं,चिंतन में लीन रहो
शरीर के दर्दों से पाओ निज़ात
जाग्रत अष्ट शक्तियाँ है निदान
अन्तर्निहित ऊर्जाएं न गवाओ
कर्मेन्द्रियां अपना ले पवित्रता
प्रतिरोधक दिलाए रोगमुक्तता
सोचो-सब अच्छे, सब अच्छा
संतोषी सदाचारी निर्विकारी
बने परम् आंनद के अधिकारी
दुआ दो,भला करो,मगन रहो
सरला मेहता
इंदौर
मौलिक