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ठोकर से ठाकुर - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

ठोकर से ठाकुर

  • 257
  • 3 Min Read

विषय:--- *ग़लती*
विधा:--- पद्य
------ :शीर्षक:----
*ठोकर से ठाकुर*

मानव ग़लतियों का पुतला है
ग़लती ना करे तो वह मनुष्य कैसे ?
मिला पुत्र-विछोह दशरथ को
हरी गई सीता रेखा उलाँघने से
भीष्म का अंत हुआ शर शैया पर
पहली बार की ग़लती भूल से होती
दोहराव से गुनाह बन जाती
ग़लती से सीखे व सुधार करे
यह प्रथम सीढ़ी है सफलता की
ठोकर से ही ठाकुर बनते हैं
बस एहसास हो त्रुटियों का
फ़िर गाँधी बनने से कौन रोक सकता ?
स्वरचित
सरला मेहता
इंदौर

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