कविताअतुकांत कविता
विषय,,,किताबें
शीर्षक,,सच्ची दोस्त
माँ मुझको इक बस्ता दे दे तू
भर कर किताबें शाला जाऊँगा
इनसे हम सीखे लिखना पढ़ना
इनके कारण ही इंसान बने हम
विश्वासपात्र ये दोस्त हमारी हैं
जो भी पूछो झट बतला देती
सर्वदा साथ हमारे ये रहती हैं
भेदभाव कभी ना ये करती
चाहे एकलव्य हो या अर्जुन
धार्मिक, ज्ञान-विज्ञान पूर्ण
अंकों ग्रहों व नक्षत्रों वाली
सभ्यता संस्कृति की प्रमाण
इतिहासों की भी ये वाहक हैं
सृष्टि-विकास की परिचायक
हर भाषा का साहित्य समाहित
भारदेन्दु प्रेमचन्द निराला पन्त
मानस गीता और वेद पुराण हैं
सच खज़ाना इनमें समाया है
सरला मेहता
इंदौर